हैं आप माहताब तो बेशक़ हुआ करें
रोशन यहाँ चराग़ है बचकर चला करें
इक और मुलाक़ात को वो बेक़रार हो
बस पहली मुलाक़ात पे इतना खुला करें
हमने दवा तो की मगर रिश्ते न बच सके
अब दूरियां निभा सकें आओ दुआ करें
ख़ामोशियों का और ही मतलब न ले कोई
होठों का इस्तेमाल भी थोड़ा किया करें
जाती हैं हिचकियाँ हमें मुश्किल में डाल के
'तनहा' का नाम रात को कम ही लिया करें
- प्रमोद कुमार कुश 'तनहा'
3 टिप्पणियां:
Behad khoobsoorat rachana!
bahut khuub kahi hai yeh ghazal!
भाई प्रमोद कुमार कुश 'तनहा'जी!
बहुत ही अच्छी लगी यह नज़्म....मज़ा आ गया !!
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