मंगलवार, 15 जनवरी 2008

शुभकामनाएं

बात हो सद्भावना की ज़िक्र हो विश्वास का
छोड़ दें शिकवे गिले बस साथ हो उल्लास का

गीत हो , संगीत हो और प्रेम ही कविता बने
शब्द के झरनों से मिलकर ज़िन्दगी सरिता बने

- प्रमोद कुमार कुश 'तनहा'

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