ख़यालों में तुझे आवाज़ दी है
ये गुस्ताख़ी हमीं से हो गयी है
तुम्हारी सादगी ने दिल लिया था
तुम्हारी बेरुख़ी ने जान ली है
करेगी बात क्या दुनिया,न सोचो
करो वो बात जो दिल ने कही है
कहाँ किस रोज़ कितने घर जले हैं
ख़बर अखबार में अब तो यही है
तेरी गलियों में ' तनहा 'घूमता हूँ
तेरे दीदार की दीवानगी है
3 टिप्पणियां:
Wah! Bahut dinon baad aapne likha hai,aur behad khoobsoorat gazal pesh kee hai!
wah bahut khoob....
बहुत गहन सुन्दर भाव और अल्फाज़ लिए सुन्दर ग़ज़लें,बधाई बेहतरीन रचनाओं के लिए.
मंजुल भटनागर
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