शुक्रवार, 28 दिसंबर 2007

दर्द के फ़साने ....

वही ख़्वाब मंज़िलों के , वही रास्तों के ग़म हैं
वही हौसले हमारे , वही आपके सितम हैं
कभी आंसुओं के किस्से , कभी दर्द के फ़साने
इस ज़िन्दगी पे जितनी ग़ज़लें कहें वो कम हैं

- प्रमोद कुमार कुश ' तनहा '

1 टिप्पणी:

seema gupta ने कहा…

"jindgee kya khen,
kabhee mausam suhane hain,
kuch seley seley pal hain,
or jkhum puraney hain, "

beautiful sher.

regards