हंसते हैं उजालों में रातों में तड़पते हैं
जज़्बात मुहब्बत के मुश्किल से संभलते हैं
ये इश्क नहीं आसाँ दरिया है शरारों का
जो मौज से बचते हैं साहिल पे पिघलते हैं
ज़ख्मों की कमाई है ख़्वाबों के खजाने हैं
पलकों की तिजोरी में आंसू भी खनकते हैं
जब याद सताती है भूले से सितमगर की
इक साथ कई शीशे नस नस में चट्कते हैं
आंखों की लड़ाई में कुछ हाथ नहीं आता
इस खेल में शातिर भी करवट ही बदलते हैं
कुछ वस्ल के अफ़साने कुछ हिज्र के नजराने
'तनहा' की निगाहों में दिन रात मचलते हैं
--- प्रमोद कुमार कुश ' तनहा'
All the poems / ghazals published on my blog are my own creations. I would love to have your feedback. I hold the copyright over all the blog posts on this blog. Republishing in any form , language or translating these poems / ghazals etc. without my consent is not permitted. Please visit my website - http://kishicreations.net
- Pramod Kumar Kush 'tanha'
- Mumbai, Maharashtra, India
- I am a writer , lyricist, composer, singer and ghazalkar. I share my views on life’s philosophy and secrets of happiness with every person I meet.I forget the mistakes of others and accept them for their present behavior.I consider each and every one on the basis of their positive aspects. I have written many books & lyrics for number of Hindi films like - Gangster, Tujhko Pukaray, Qaatil Kaun, Future Toh Bright Hai Ji etc. I have received Urdu Sahitya Academy award of Gujarat State ( India ) and many awards from literary and academic organizations of India. I have written , directed and acted in various stage plays in Delhi and Mumbai. The poet in me gives me edge over others to understand the people around and communicate with them with open heart. My new music audio album "Ghazals for lovers" and " Bhaj Le Tuu Bhi Raam" have been released all over for which I have penned , composed and sung the songs ...
9 टिप्पणियां:
behad khubsurat,har sher dil ko chu gaya,bahut bahut badhai.tariff se badhkar hai har lafz ke kuch kehne ko baki nahi.
aansu bhi khanakte hain.......
yahi mann ko chhu gai......
वाह ! बहुत बढ़िया है "तनहा" साहब.
Har sher khubsurat hai
ज़ख्मों की कमाई है ख़्वाबों के खजाने हैं
पलकों की तिजोरी में आंसू भी खनकते हैं
waah...porri ghazal shaandaar hai. aur ye sher to bas katl hai..
its beautiful!! really..!!
क्या बात है!! वाह!
aanhu bhee khenkteyn hai, kya khub byan kiya hai apne, dil kee gehrayeeon see jaisee aavaj aa rhee hai.....
regards
" ek chotte se rachna aapke nazar"
"अब और"
आँखों की गहराई मे आंसू कहीं दफ़न हो जाया करें ,
हर पल बरस कर सर -ऐ -महफिल तमाशा अब और बनाया ना करें .
अधूरी कहानी , प्यार का अफसाना कुछ भी मेरी ख्वावीश ना बने,
मोहब्बत की बातें मेरी तन्हाईयों को तन्हा अब और कर जाया ना करें.
कौन सी कयामत से गुजरा नही अब तलक ये नादाँ दिल मेरा ,
गम के बदल का रुख मेरी चौखट पे अब और आया ना करें .
कोई मुलाकात , जज्बात , एहसास , अब खंजर बन के दिल मे न चुभें,
वो लम्हा यादों के भवर मे मुझे अब और उलझाया न करें.
किसी माहोल , मंजर , महफिल से अब कोई रुसवाई न मिले मुझको ,
मुझको समझाने जिन्दगी रूप बदल बदल के अब और आया न करें
बहुत अच्छे शेर हैं।
एक टिप्पणी भेजें