शनिवार, 11 सितंबर 2010

ज़िन्दगी हंसते हुए कटती रहे ...

ज़िन्दगी हँसते हुए कटती रहे तो ठीक है
आप जैसों की इनायत भी रहे तो ठीक है

कोठियों महलों की छत पे चांदनी बिखरे मगर
झोंपड़ों पे भी मेहरबानी रहे तो ठीक है

आप छेडें बात कोई हम सुनाएं हाले दिल
रात ऐसे ही चलो ढलती रहे तो ठीक है

दूरियों मजबूरियों मसरूफियत के दौर में
कुछ ख़बर माँ बाप की मिलती रहे तो ठीक है

सामने बैठे रहो तो रूह को पहुंचे सुकूं
इश्क़ की दीवानगी बढ़ती रहे तो ठीक है

साहिलों को तोड़ने की आरज़ू मत छोडिए
'सोच' भी लेकिन समंदर सी रहे तो ठीक है


- प्रमोद कुमार कुश ' तनहा '

8 टिप्‍पणियां:

kshama ने कहा…

Soch to waqayi samadar-si hai aapki!Bahut khoob..bahut dinon baad blog pe nazar aaye lekin behtareen gazal ke saath!

Pramod Kumar Kush 'tanha' ने कहा…

Bahut shukriya Kshama ji...
Ganesh chaturthi evam Eid ki bahut shubhkaamnayein...

POOJA... ने कहा…

bohot khoob...

aapki gazal padh na jane kitnee yaadein tazaa ho gayi...
aap yunhi likhte rahe aur ham muskurate rahe to theek hai...

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

कोठियों महलों की छत पे चांदनी बिखरे मगर
झोंपड़ों पे भी मेहरबानी रहे तो ठीक है

बहुत खूबसूरत गज़ल ...


वर्ड वेरिफिकेशन हटा दें ....कमेंट्स कि सेटिंग में जा कर ...

अनामिका की सदायें ...... ने कहा…

waah kya baat hai....bahut dino baad nazar aaye aur vo bhi itni khoobsurat gazal ke sath.

badhayi.

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

चर्चा मंच के साप्ताहिक काव्य मंच पर आपकी रचना 14 - 9 - 2010 मंगलवार को ली गयी है ...
कृपया अपनी प्रतिक्रिया दे कर अपने सुझावों से अवगत कराएँ ...शुक्रिया

http://charchamanch.blogspot.com/


कमेंट्स कि सेटिंग से वर्ड वेरिफिकेशन हटा लें

CS Devendra K Sharma "Man without Brain" ने कहा…

soch agar samandar jaise ho jaye to kya baat haiiiiiiiiiiiii

bahut hi sunderrrrrrr

संजय भास्‍कर ने कहा…

वाह क्या बात है, अति सुन्दर